देहरादून/बागेश्वर। पलायन के मामले में उत्तराखंड के अन्य पहाड़ी जनपदों की तरह ही बागेश्वर की तस्वीर भी अलग नहीं है। महज तीन ब्लाकों वाले इस जिले में कपकोट ब्लाक में पिछले 10 वर्षों में आबादी करीब पांच फीसद घटी है, जबकि गरुड़ व बागेश्वर में यह राज्य के औसत से कम है। राज्य में जनसंख्या वृद्धि की दर 18 फीसद है। पलायन आयोग द्वारा इन दिनों तैयार की जा रही बागेश्वर जिले की सर्वे रिपोर्ट में यह सामने आई है। आयोग की इसी माह होने वाली बैठक में यह रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार बागेश्वर जिले की सर्वे रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि अन्य जिलों की अपेक्षा यहां के निवासियों की आर्थिकी बेहतर है। जिले में स्वरोजगार, मनरेगा, आजीविका विकास, खड़िया खनन, पर्यटन, तीर्थाटन आदि से ठीक आय हो रही है। हालांकि, खड़िया के खनन से पर्यावरण के सामने चुनौतियां जरूर खड़ी हुई हैं, मगर इससे बड़ी संख्या में स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार मिला हुआ है। आयोग की ओर से इस जिले में पर्यटन के साथ ही आजीविका विकास की गतिविधियां बढ़ाने की सिफारिश की जा रही है।
तीन साल में आयोग की 12वीं रिपोर्ट
राज्य में पलायन आयोग का गठन होने के बाद बागेश्वर जिले की सर्वे रिपोर्ट उसकी 12वीं रिपोर्ट होगी। तीन साल पहले आयोग का गठन होने के बाद उसने अप्रैल 2018 में सबसे पहले गांवों से पलायन की स्थिति पर अंतरिम रिपोर्ट दी। इसके बाद पौड़ी, अल्मोड़ा, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ जिलों की सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई। इसके अलावा प्रकृति आधारित पर्यटन, ग्राम्य विकास की योजनाओं का विश्लेषण व अर्थव्यवस्था की मजबूती को सिफारिशें, कोरोना संकट के चलते वापस लौटे प्रवासियों के पुनर्वास, प्रवासियों की आजीविका के मुख्य स्रोतों का विश्लेषण जैसे विषयों पर आयोग रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है।
पिछले तीन साल से आयोग उपाध्यक्ष के भरोसे चल रहा था। अब सरकार ने आयोग के महत्व को समझते हुए इसमें पांच सदस्य नामित कर दिए हैं। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ एसएस नेगी के मुताबिक सभी पांच सदस्य काम में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इस माह के दूसरे पखवाड़े में आयोग की पूर्ण बैठक संभावित है। इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।