नई दिल्ली/देहरादून। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्यंमत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बड़ी राहत हुए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश देने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश पर गुरुवार को रोक लगा दी।
दो पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि 2016 में झारखंड के ‘गौ सेवा आयोग’ के अध्यक्ष पद पर एक व्यक्ति की नियुक्ति का समर्थन करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के रिश्तेदारों के खातों में धन अंतरित किया गया था। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री को सुने बगैर ही हाईकोर्ट द्वारा इस तरह का सख्त आदेश देने से सब चकित रह गए क्योंकि पत्रकारों की याचिका में रावत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध भी नहीं किया गया था। रावत की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा की मुख्यमंत्री को सुने बगैर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती और इस तरह का आदेश निर्वाचित सरकार को अस्थिर करेगा। वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि एक निर्वाचित सरकार को इस तरह से अस्थिर नहीं किया जा सकता। सवाल यह है कि पक्षकार को सुने बगैर ही क्या स्वत ही इस तरह का आदेश दिया जा सकता है। नैनीताल हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के खिलाफ आरोपों की प्रकृति पर विचार करते हुए सच को सामने लाना उचित होगा। यह राज्य के हित में होगा कि संदेह दूर हो इसलिए मामले की जांच सीबीआई करे। हाई कोर्ट ने यह फैसला दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनाया था। इन याचिकाओं में पत्रकारों ने इस साल जुलाई में अपने खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने का आग्रह किया था।