ज्योति यादव,डोईवाला। संयुक्त किसान मोर्चे का टाउनशिप योजना के खिलाफ 16 दिन से लगातार चल रहे धरने पर किसानों नें सरकार द्वारा किसानों पर लगाए गये मुकदमो क़ो लेकर दिखाया अपना गुस्सा। किसान बोले कि ये सरकार कि बोखलाहट हैं।
सरकार की किसान विरोधी टाउनशिप योजना और शुगर मिल क़ो बेचे जाने के खिलाफ किसानों नें आज 16 वें दिन शांतिपूर्ण तरीके से चल धरने पर सरकार क़ो जम कर कोसा।
किसानों क़ो सम्बोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चे के संयोजक ताजेंद्र सिंह नें कहा की आज किसानों की बद किस्मती है की सत्ता मे बैठे लोग किसान विरोधी तो है ही साथ साथ वह कॉरपोरेट घरानो के दबाव मे इतना ज्यादा है कि किसानों पर दमनकारी नीतियों क़ो अपना रहे है। यही कारण है कि किसानों के खिलाफ लगातार फैसले लिये जा रहे है और अगर किसान इस लोकतान्त्रिक देश मे अपनी आवाज उठाना चाहती है तो उन पर दमनकारी नीतियाँ अपना कर झूठे मुकदने किये जा रहे हैं। सरकार कि इस दमनकारी नीतियों से पता चलता है कि सरकार कितनी बोखलाहत मे है।
किसान यूनियन जिला अध्यक्ष नें कहा कि सरकार कितना भी जुल्म किसानों पर कर लें लेकिन इस लोकतान्त्रिक देश मे किसानों कि आवाज क़ो नहीं दबा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों कि एक मात्र आजीविका का स्रोत डोईवाला गन्ना मिल क़ो बेचकर पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है जो सरासर किसानों के साथ धोखा है।
किसान सभा मंडल उपाध्यक्ष ज़ाहिद अंजुम नें राज्य सरकार क़ो एक दमनकारी सरकार बताते हुए कहा कि किसानों पर झूठे मुकदमे कराकर उनकी आवाज क़ो नहीं दबा सकती और किसान लगातार सरकार कि किसान विरोधी नीतियों से लडता रहेगा चाहे सरकार कितने भी मुकदमे क्यों न कर लें।
धरने का संचालन करते हुए कहा कि सरकार किसानों क़ो लगातार दबाने पर लगी है और झूठ बोलकर जनता क़ो गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा अगर सरकार कि नियत अगर इतनी ही साफ है कि कोई योजना डोईवाला मे नहीं प्रस्तावित है तो भाषण बाजी से क्यों जवाब दें रही है क्या किसान जो कि अन्नदाता कहलाता है उसकी संतुष्टि के लिये सरकार की तरफ से लिखित आश्वासन क्यों नहीं देती।
क्षेत्र के किसान क़ो अपनी खेती बाड़ी क़ो छोड़कर आंदोलन, धरने पर बैठने के लिये क्यों मजबूर किया जा रहा है जबकि वह सरकार से कोई अतिरिक्त सहायता नहीं मांग रहा बल्कि सिर्फ अपनी जमीन की सुरक्षा की गारंटी मांग रहा है।
गन्ना सोसाइटी के चेयरमैन मनोज नौटियाल नें सरकार की बोखलाहत पर कहा कि सरकार लोकतान्त्रिक ढांचे क़ो बिल्कुल तहस नहस करना चाहती है और उसी बोखलाहत का नतीजा है कि किसानों द्वारा सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी दिखाते हुए जो पुतला फुका गया है उसमे 11 किसानों पर नामजद और बाकी अन्य के खिलाफ मुकदमे दर्ज करके आवाज क़ो दबाने का काम कर रही है।
लेकिन शायद उनको ये अहसास नहीं है कि ये वहीं किसान है जो आम नागरिक कि थाली मे खाना पहुँचाते है तो सरकार क़ो भी बाहर पहुंचा सकते है। उन्होंने कहा कि जहाँ जहाँ भी भाजपा की सरकार है वहीं किसानों, मजदूरों, अल्पसंख्यको, और दलित समाज का उत्पीड़न किया जा रहा है और जनकी यही नीति उनको सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएगी।
धरने क़ो सागर मनवाल, अनिल प्रधान, गुरदीप सिंह, बलबीर सिंह, इंद्रजीत सिंह, रणवीर चौहान,मोहित उनियाल, पूनम संदाल, करतार नेगी, एडवोकेट तुसार, एडवोकेट शाकिर हुसैन,महेश लोधी, सुभम कम्बोज,फुरकान अहम कुरैशी,अनूप कुमार, अजीत सिंह प्रिंस, आदि नें भी सम्बोधित करते हुए किसानों पर लगाए गये मुकदमो की कड़े शब्दों मे निंदा की और किसानों के होंसले क़ो बुलंद करते हुए सरकार की नीतियों का खुलकर मुकाबला करने की अपील की।
धरने मे कृष्ण कुमार, हरबंश सिंह, रंजीत सिंह, रणजीत सिंह,सरजीत सिंह,सावन राठौर, नितिन गोला, प्रेम सिंह, खालिद, असलम, नरेंद्र सिंह, अवतार सिंह,अजीत सिंह, मोहन सिंह,सहित सैकड़ों किसान उपस्थित रहे।