Uttarakhand Election Results : उत्तराखंड की सियासत में दो दशक बाद सत्ता परिवर्तन से जुड़ा मिथक टूट गया है। चुनाव में भाजपा ने लगातार दूसरी बार बहुमत हासिल किया है। प्रदेश की राजनीति में सबसे बड़ा मिथक यह था कि किसी भी दल को लगातार दूसरी बार जीत नहीं मिली है। इस मिथक को तोड़ने में भाजपा कामयाब रही है। इसके अलावा चुनाव से जुड़े कई मिथक टूटे हैं तो कई बरकरार हैं।
Uttarakhand Election Results : उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा बारी-बारी से सत्ता पर काबिज
राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा बारी-बारी से सत्ता पर काबिज रहीं। दो दशक में चार विधानसभा चुनाव में बड़ा मिथक रहा है कि सत्ता में रहते हुए किसी भी दल ने दूसरी बार जीत दर्ज नहीं की है। पांच साल के बाद जनादेश सत्ता परिवर्तन के पक्ष में रहा है। इस बार भाजपा ने इस मिथक को तोड़ा है। 2017 की तुलना में भले ही भाजपा को विधानसभा सीटों का नुकसान हुआ है, लेकिन सरकार बनाने के लिए भाजपा को बहुमत मिला है। उत्तराखंड की सियासत में पहली बार कई मिथक टूटे हैं। जबकि कई मिथक इस चुनाव में सही साबित हुए हैं।
Uttarakhand Election Results : धामी नहीं तोड़ पाए सीएम के चुनाव हारने का मिथक
प्रदेश की सियासत में यह भी मिथक है कि मुख्यमंत्री चुनाव नहीं जीतता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने भी इस मिथक को तोड़ने की चुनौती थी, लेकिन वे अपने दुर्ग नहीं बचा पाए। राज्य गठन के बाद 2002 में पहला आम चुनाव हुआ है। जिसमें कांग्रेस से नारायण दत्त तिवारी सीएम बने, लेकिन 2007 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। 2007 में भाजपा के मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी सीएम बने। उन्हें 2012 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 2012 में कांग्रेस फिर सत्ता में आई और विजय बहुगुणा सीएम बने, लेकिन उन्होंने 2017 का चुनाव नहीं लड़ा। बहुगुणा के बाद सीएम बने हरीश रावत ने किच्छा और हरिद्वार से चुनाव लड़ा। वे दोनों ही सीटों पर चुनाव हार गए थे। वर्तमान भाजपा सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत ने चुनाव नहीं लड़ा। मुख्यमंत्री धामी ने तीसरी बार खटीमा से चुनाव मैदान में थे। यहां से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
Uttarakhand Election Results : शिक्षा मंत्री और पेयजल मंत्री ने तोड़े मिथक
शिक्षा और पेयजल मंत्री ने अपनी-अपनी सीट पर जीत हासिल कर चुनाव में हार के मिथक को तोड़ा है। प्रदेश के राजनीति इतिहास में अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं। उसमें शिक्षा मंत्री और पेयजल मंत्री कभी चुनाव नहीं जीते पाए। प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने गदरपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीता है। जबकि पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने डीडीहाट विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर इस मिथक को तोड़ा है।