Life Saved With Medical Help : देहरादून- रोटरी क्लब देहरादून सेंट्रल,जीजीआईसी और कृष्णा मेडिकल सेंटर के सहयोग से एक 17 साल की बालिका की जान बचा ली गयी। यहीं नहीं बालिका की मानसिक स्थिति सुधारने सहित आगे का जिम्मा भी क्लब ने लिया है।
Life Saved With Medical Help : राजपुर रोड की प्रिंसिपल प्रेमलता बौड़ाई ने कॉल कर बताया
रोटरी क्लब देहरादून सेंट्रल के प्रधान रोहित गुप्ता ने बताया कि जीजीआईसी राजपुर रोड की प्रिंसिपल प्रेमलता बौड़ाई ने कॉल कर बताया कि उनके यहां की एक छात्रा बीमार है। जो कि लम्बे समय से स्कूल नहीं आ पा रही है। ऐसे में उन्होंने ईलाज के लिए रोटरी क्लब से मदद मांगी। हमने डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने अल्ट्रासाउंड बताया। लेकिन पेट में दिक्कत की वजह से सिटी स्कैन कराया गया। इसके बाद डॉक्टर सिद्धांत खन्ना ने बताया कि बालिका की तुरन्त सर्जरी नहीं हुई तो इसकी जान बचना मुश्किल है। अंदाजन खर्चा हमकों 1 लाख रुपये बताए गए। इसके बाद हमारी ओर से प्रिंसिपल से कुछ फण्ड जुटाने को कहा,साथ ही क्लब की ओर से बाकि का खर्चा उठाने का जिम्मा लिया गया।
Life Saved With Medical Help : जीजीआईसी की प्रिंसिपल और कर्नल दिलीप पटनायक ने काफी अच्छा सहयोग
इसमें जीजीआईसी की प्रिंसिपल और कर्नल दिलीप पटनायक ने काफी अच्छा सहयोग किया। बताया कि बालिका की उम्र 17 साल हैं अब वह ठीक है।
इंदर रोड स्थित कृष्णा मेडिकल सेंटर के डॉ सिद्धांत खन्ना ने बताया कि रोटरी क्लब ने इस केस को उन तक पहुंचाया। बताया कि क्लब की ओर से बालिका अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए सिकंद डाइग्नोस्टिक सेंटर में ले जाया गया था। जहाँ डॉ कुणाल सिकंद और मुर्तज़ा सुम्बुल को गड़बड़ लगी तो उन्होंने बालिका का सिटी स्कैन किया।जिसमें आया कि पेशेंट के दो जगह पेट में बहुत बड़ा और छोटी आंत में बड़ी रुकावट है।
Life Saved With Medical Help : डॉ ने रोटरी क्लब को कृष्णा मेडिकल सेंटर का रेफरेंस दिया
डॉ ने रोटरी क्लब को कृष्णा मेडिकल सेंटर का रेफरेंस दिया। इसके बाद क्लब की ओर से यहां संपर्क किया गया। पेशेंट को यहां देखने के बाद पता चला कि ट्राइको- बज़ार नाम की बीमारी है। इसमें जो पेशेंट मानसिक रूप से स्टेबल नहीं होते,ये अपने ही बाल खाने लगते हैं। सिटी स्कैन में आया था कि पेशेंट के पेट में 12बाई6 सेंटीमीटर बालों का गुच्छा और आंतों में 8बाई4 सेंटीमीटर का गुच्छा फंसा हुआ था। इसकी वजह से पेशेंट का पेट फूल रहा था और इंफेक्शन पूरे शरीर में फैल रहा था। फिर हमारी पूरी सर्जीकल टीम ने ये डिसाइड किया कि पेशेंट को ऑपरेट किया जाएगा। हालांकि ऑपरेट करने के लिए बालिका की स्थिति सही नहीं थी और उसके दिल की धड़कन तेज थी। रिस्क भी था, ऑपरेशन करते हुए भी बालिका की जान जा सकती थी।
Life Saved With Medical Help : बेहद खतरनाक ऑपरेशन था, क्योंकि बीमारी बहुत फैल चुकी थी
बेहद खतरनाक ऑपरेशन था, क्योंकि बीमारी बहुत फैल चुकी थी लेकिन ऑपरेट नहीं करते तो भी बालों का गुच्छा वहां फंसे रहने की वजह से बच्ची की जान चली जाती। इसलिए हमने उसकी जान बचाने का रिस्क लिया। ऑपरेशन के बाद बालिका को 3 से 4 दिन आईसीयू में रखा। नतीजन बालिका की जान बच गयी। अब वह स्टेबल है। इस मौके पर क्लब के सचिव अजय बंसल, रोटेरियन स्वाति गुप्ता, ट्रेजरार शोभित भाटिया, अतुल कुमार,अभिनव अरोड़ा, रमन वोहरा आदि उपस्थित थे।