उत्तराखंडगढ़वाल

Col Kothiyal’s Innovation Dialogue : उत्तराखंड आज भी अपनी परिसंपत्तियों का मालिक नहीं : कर्नल कोठियाल

Col Kothiyal’s Innovation Dialogue : आप सीएम उम्मीदवार कर्नल कोठियाल लगातार वर्चुअली नवपरिवर्तन संवाद के जरिए समाज के अलग अलग वर्गों से जुड़ कर उत्तराखंड नवनिर्माण पर उनसे बात कर रहे हैं। आज इसी कड़ी में उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों से वर्चवली जुडते हुए नव परिवर्तन संवाद किया । उन्होंने सबसे पहले स्व0 गिर्दा के गाने को अपने शब्दों में गाकर उसे राज्य आंदोलनकारियों को समर्पित किया।

Col Kothiyal’s Innovation Dialogue : उनकी शहादतों की बदौलत अलग उत्तराखंड राज्य का सपना पूरा

उन्होंने आगे कहा जब भी गिर्दा की इन पंक्तियों को सुनता हूँ मन में जोश भर जाता है। उन्होंने कहा कि हमारी मातृभूमि के लिए जो सपने शहीदों ने देखे थे, उसे पूरे करना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है और इसी कारण में राजनीति में आया हूं। उन्होंने सबसे पहले उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को नमन किया और कहा कि उनकी शहादतों की बदौलत अलग उत्तराखंड राज्य का सपना पूरा हो पाया। उन्होंने कहा कि हमारे शहीदों का बलिदान और हमारे राज्य आंदोलनकारियों का संघर्ष एक-एक उत्तराखंडी पर ऐसा कर्ज है जिसे हम हमेशा याद रखेंगे।

Col Kothiyal’s Innovation Dialogue : उत्तराखंड राज्य को बने आज 21 साल पूरे हो चुके

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य को बने आज 21 साल पूरे हो चुके हैं। ऐसे समय में, जब कांग्रेस और भाजपा जैसे दल अवसरवाद, जातिवाद, नेताओं की अदला बदली और मौकापरस्ती की राजनीति करने में मस्त हैं, तब राज्य आंदोलनकारियों से जुड़े मुद्दों पर बात करने का यह निर्णय मैने इसलिए लिया है ताकि हम उन मुद्दों की पड़ताल कर सकें, जो इस राज्य आंदोलन की अवधारणा से जुड़े हैं। मैं आपसे उत्तराखंड के उन सुलगते सवालों पर बातचीत करना चाहता हूँ, जो हम सबके मन में है। उन्होनें कहा कि अलग राज्य की स्थापना का मकसद यही था कि उत्तराखंड के हर क्षेत्र का विकास हो सके, यहां के हर युवा को रोजगार मिल सके, यहां के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिल सके, हर बीमार को अच्छा इलाज मिल सके और जनता के पक्ष की राजनीति हो सके।

Col Kothiyal’s Innovation Dialogue : आज गर्भवती महिला की इलाज न मिलने से रास्ते में ही मौत हो जाती

उन्होंने आगे कहा कि आप जैसे तमाम आंदोलनकारी साथी जो अलग उत्तराखंड राज्य की लड़ाई में शामिल थे, जिन्होंने पुलिस की लाठी-डंडे खाए, जिन्होंने जेल की सजा पाई, जिन्होंने गोलियां खाई, वे आज सोच रहे हैं क्या उन्होंने इस उत्तराखंड के लिए संघर्ष किया था। आंदोलन की लड़ाई के दौरान यही सपना देखा था कि अलग राज्य बनेगा तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, युवाओं का पलायन रुकेगा, उत्तराखंड के घर-घर खुशहाली आएगी। लेकिन आज ये सारे सपने टूट कर चूर-चूर हो गए हैं। जिस राज्य निर्माण के लिए महिलाओं ने सबसे बड़ा योगदान दिया, उस राज्य में आज गर्भवती महिला की इलाज न मिलने से रास्ते में ही मौत हो जाती है, अस्पताल दूर होने के कारण गर्भवती महिलाएं सड़क पर प्रसव के लिए मजबूर हैं।

Col Kothiyal’s Innovation Dialogue : आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड राज्य के लिए आंदोलन लड़ा

उन्होंने कहा कि क्या इसी दिन के लिए आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड राज्य के लिए आंदोलन लड़ा था ।21 सालों बाद भी राज्य आंदोलनकारियों को न्याय नहीं मिल रहा है।आज भी 21 साल बाद खटीमा, मसूरी, मुजफ्फरनगर गोलीकांड के दोषी खुलेआम घूम रहे हैं। हमें राज्य बदहाली के लिए उन लोगों की पहचान करनी होगी। उत्तराखंड के सपनों को चूर-चूर करने वाली भाजपा और कांग्रेस से जवाब मांगने का समय आ चुका है। बड़े दुख की बात है कि आज भी कई आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण तक नहीं हो पाया ।

 

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