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उत्तराखंड: गठबंधन के जरिए धरातल मजबूत करने में जुटी सपा, सभी 70 सीटों पर लड़ेगी चुनाव; जानें- पहली सूची कब होगी जारी

देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव निकट आते ही समाजवादी पार्टी एक बार फिर सक्रिय हो गई है। पार्टी का दावा भले ही इस बार सत्ता में आने अथवा सत्ता के नजदीक रहने का है, लेकिन हकीकत यह है कि सपा का पूरा प्रयास राज्य में अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने पर रहेगा। कारण यह कि राज्य गठन के बाद सपा किसी भी विधानसभा चुनाव में कोई सीट हासिल नहीं कर पाई है। इस बार पार्टी स्थानीय मुद्दों, यानी जल, जंगल जमीन, पिछड़े सामान्य वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण, पलायन रोकने को चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है। इसके अलावा सपा क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है।

राज्य गठन के बाद समाजवादी पार्टी उत्तराखंड में राजनीतिक धरातल नहीं तलाश पाई है। इसका एक मुख्य कारण उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान का रामपुर तिराहा कांड भी रहा है। संयुक्त उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के दौरान दिल्ली कूच कर रहे निहत्थे राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस ने रामपुर तिराहे पर फायङ्क्षरग की थी, जिसमें कई आंदोलनकारियों ने अपनी जान गंवाई थी। यह कलंक सपा के माथे पर ही लगा। यही कारण रहा कि वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार संसदीय सीट पर जीत को अपवाद माना जाए तो शेष चुनावों में सपा का सूपड़ा साफ हुआ।

वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के राजेंद्र बाडी सपा से सांसद बने थे। यह पहला और आखिरी चुनाव रहा, जिसमें समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड में जीत दर्ज की। यह बात अलग है कि राज्य गठन और उत्तराखंड आंदोलन से पहले उत्तराखंड क्षेत्र से कई विधायक सपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा तक पहुंचे थे। इनमें मुन्ना सिंह चौहान, मंत्री प्रसाद नैथानी, अंबरीश कुमार और बर्फीयालाल जुवांठा के नाम नाम शामिल हैं।

राज्य गठन के बाद 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 7.89 फीसदी के करीब वोट मिले थे। इन चुनाव में सपा ने 56 सीटों पर चुनाव लड़ा। 2007 के विधानसभा चुनाव सपा ने 42 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 6.5 प्रतिशत वोट मिले। वर्ष 2012 में सपा ने 32 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसके हिस्से 1.5 प्रतिशत वोट आए। 2017 के चुनाव में सपा ने 20 सीटों पर ही चुनाव लड़ पाई और उसे कुल 0.37 प्रतिशत वोट मिले। आगामी चुनावों को देखते हुए सपा ने इस बार रणनीति बदली है और वह समान विचारधारा वाले क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है।

सपा के प्रदेश अध्यक्ष एसएन सचान का कहना है कि पार्टी ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति में बदलाव किया है। इस बार राज्य के मूल मुद्दों यानी जल, जंगल, जमीन व पलायन के साथ ही मंडल आयोग की संस्तुतियों के अनुसार गरीब सवर्णों को साक्षरता के हिसाब से 27 प्रतिशत आरक्षण पार्टी के मुख्य मुद्दे होंगे। उनका दावा है कि इस बार पार्टी सत्ता में आएगी अथवा सत्ता के निकट रहेगी।

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