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देहरादून के मोक्ष धाम में नहीं मिल रही अंतिम संस्कार की जगह, 8 शवों को किया वापिस

Dehradun: In the capital city of Uttarakhand, Dehradun, the havoc of the corona is such that the place for cremation of dead bodies in Moksha Dham here is less studied. At the same time, funeral pyres are burning in the city's Moksha Dham, but the number of dead bodies is not decreasing. It is worth noting that 20 dead bodies are being cremated in a day in Moksha Dham situated in Dehradun Lakkhibagh. For which a token has been arranged. Let us tell you that on Friday, all the tokens of Moksha Dham were booked, due to which eight dead bodies were returned. The bodies returned from Moksha Dham were cremated at Tapkeshwar and Maldevata. When Moksha Dham's Pandit Anil Sharma was asked about this, he told that tokens have to be taken first for the last rites and this has happened because the tokens are already booked. At the same time, Sharma also said that even the last journey of life is now facing financial burden. People have to contend with expensive expenses at the cremation ground for the funeral of Corona patients. Not only this, ambulances are also not available easily. While at the cremation ground, about four thousand rupees have to be spent to cremate the corpse of the corona infected.

देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कोरोना का कहर इस कदर बरपा रहा है कि यहां के मोक्ष धाम में शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पढ़ रही है । वहीं शहर के मोक्ष धाम में लगातार चिताएं जल रही है लेकिन शवों की संख्या कम नहीं हो रही है । गौर करने वाली बात यह है कि देहरादून लक्खीबाग स्थित मोक्ष धाम में एक दिन में 20 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। जिसके लिए टोकन की व्यवस्था की गई है । आपको बता दें, कि बीते शुक्रवार को मोक्ष धाम के सभी टोकन बुक हो चुके थे जिसकी वजह से आठ शवों को लौटा दिया गया । मोक्ष धाम से लौटाए गए शवों का टपकेश्वर और मालदेवता में अंतिम संस्कार कराया गया । मोक्ष धाम के पंडित अनिल शर्मा  से जब इस बारे में बात कि गई तो उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार कराने के लिए पहले टोकन लेना पड़ता है और टोकन पहले से ही बुक होने कि वजह से ऐसा हुआ है । साथ ही शर्मा ने भी यह भी कहा कि  जीवन की अंतिम यात्रा पर भी अब आर्थिक बोझ पड़ रहा है। लोगों को कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट में महंगे खर्च की जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इतना ही नहीं आसानी से एंबुलेंस भी नहीं मिल पा रही है। जबकि श्मशान घाट में कोरोना संक्रमितों के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए करीब चार हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।

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